गायक - गजेन्द्र वर्मा
संगीत - विक्रम सिंह
गीतकार - असीम अहमद अब्बासी
रात तारों की है, मोती सब सीप के
चाँद की जिस तरह, चांदनी
तेरी बन के जियूं , तेरी हो के मरू
मैं भी बस, इसलिए हूँ बनी
हो हो हो हो होसाजना रे, साजना रे,
प्यार से देख तो, तू कभी
तू है सागर वही, जिसकी मैं हूँ नदी
अंत मेरा लिखा, तुझ में ही
साजना रे, साजना रे, साजना रे
रेत सूखी मैं सैयां, तू सावन
तू जो मैली करे, होंगी पावन
तुझको पा लूं तू, गंगा बनी मैं बहूँ
बिन तेरे मैं, अधूरी-अधूरी
तू जो अपना ले, हो जाऊं पूरी
ग़म नहीं फिर, रहूँ या न रहूँ
खाक बन के पिया, उडती बिछती फिरू
तू गुज़रता है, जिस-जिस गली
मैं तो भूखी पिया, एक तेरी दीद की
तुझको न हो कदर, न सही
साजना रे, साजना रे,
प्यार से देख तो तू कभी,
तू है सागर वो ही, जिसकी मैं हूँ नदी
अंत मेरा लिखा, तुझ में ही
साजना रे, साजना रे, साजना रे
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