फिल्म - कॉक स्टूडियो 7
गायक - सज्जाद अली
छोड़ो भी गिला, हुआ
जो हुआ
लहरों की जुबां को,
समझो ज़रा
छोड़ो भी गिला, हुआ
जो हुआ
लहरों की जुबां को,
समझो ज़रा
छोड़ो भी गिला, हुआ
जो हुआ
लहरों की जुबां को,
ज़रा समझो
समझो क्या कहती है
हवा
अरे छोड़ो भी गिला,
हुआ जो हुआ
लहरों की जुबां को,
ज़रा समझो
समझो क्या कहती है
हवा
तुम
तुम नाराज़ हो, हां
मेरे इतने पास हो
हाँ नाज़ुक-नाज़ुक सी,
प्यारी-प्यारी सी
मेरे जीने की आस हो
तुम नाराज़ हो
तुम
तुम नाराज़ हो, हां
मेरे इतने पास हो
हाँ नाज़ुक-नाज़ुक सी,
प्यारी-प्यारी सी
मेरे जीने की आस हो
तुम
मेरा क्या कसूर, क्यों
हो मुझसे दूर
साथी खफा हो, जब किसी
से,
जीवन में उसके, क्या सुरूर
साथी खफा हो, जब किसी
से,
जीवन में उसके, क्या सुरूर
तुम नाराज़ हो, हां
मेरे इतने पास हो
हा नाज़ुक नाज़ुक सी,
प्यारी प्यारी सी
मेरे जीने की आस हो
तुम नाराज़ हो, हां तुम नाराज़ हो
तुम नाराज़ हो, हां तुम नाराज़ हो
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beautiful
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